दोस्तो, मानसून आ चुका है और बहुत जल्दी अपने पूरे शबाब पर पहुँच जाएगा। बारिश के मौसम में हर जगह धूली हुई और निखरी निखरी सी नज़र आती है। प्रकृति बारिश के मौसम में हर जगह को एक अलग ही रूप दे देती है। ऐसा लगता है जैसे पूरी प्राकृतिक सुंदरता इसी मौसम में सिमट आती है। चारों और फैली हरियाली गज़ब का आकर्षण पैदा करती है। नए नए फूल और पौधे देखकर दिल बरबस ही खुश हो जाता है।
यूं तो बारिश में हर जगह ही सुन्दर नज़र आती है, लेकिन कुछ जगहें ऐसी होती हैं जिनमें इस मौसम में एक अलग ही आकर्षण पैदा होता है जो आम जगहों में नहीं मिलता। ये जगहें ऐसी हैं जिन्हें बारिश में खासतौर पर देखने जाया जाता है क्योंकि उस समय इनका रूप एक दम बदला हुआ नज़र आता है और यहां की छटा कुछ अलग ही होती है। ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में आज हम आपको बताते हैं।
आप में से ज़्यादातर लोग यह सोचते होंगे कि बारिश का मौसम भी क्या कहीं जाने का मौसम होता है? क्योंकि आपका अनुभव कहता है कि बारिश में हर जगह गंदगी और जलभराव की समस्या रहती है। लेकिन ऐसा नहीं है। कुछ स्थान ऐसे हैं जहां बारिशों में प्राकृतिक सुंदरता सबसे ज़्यादा होती है और वहां जाकर आप एक अनूठे आनंद का अनुभव करेंगे।
टॉप 3 मानसून प्लेस
तो आइए, आपको तीन ऐसी जगहों के बारे में बताते हैं जहां अगर आप मानसून में जाएंगे तो वहां की सुंदरता देख कर आप दंग रह जाएंगे और आपको एहसास होगा कि अभी तक आपने खुद को किस आनंद से वंचित रखा हुआ था।
1. वैली ऑफ़ फ्लावर्स
उत्तराखंड में स्थित वैली ऑफ़ फ्लावर्स एक अद्भुत स्थान है। इसकी खोज तीन अंग्रेज़ पर्वतारोहियों ने 1931 में की थी। वे एक पर्वतारोहण अभियान पर निकले थे और अपना रास्ता भूल गए थे। रास्ते की खोज करते करते उन्हें यह सुन्दर फूलों की घाटी मिल गई। आज यही फूलों की घाटी भारत की विश्व धरोहरों में से एक है। पश्चिमी और पूर्वी हिमालय की पहाड़ियों के मिलनस्थल पर बसी यह वैली ऑफ़ फ्लावर्स अपने आप में एक अद्भुत जगह है। चारों और फैली हिमालय की पहाड़ियों से घिरी और बीच में फूल ही फूल एक मनमोहक नज़ारा पेश करते हैं।
मानसून के मौसम में यहां नए फूल ना सिर्फ खिलते हैं बल्कि अगस्त के महीने तक भरपूर सुंदरता के साथ अपने पूरे निखार पर होते हैं। दूर तक फैले फूलों के मैदानों में आपको फूलों की ऐसी प्रजातियां दिखेंगी जो शायद आपने कभी न देखि होंगी ना सुनी होंगी। कई प्रकार के लुप्तप्राय जंतु जैसे स्नो लेपर्ड, मस्क डियर, ब्राउन बियर आदि भी आपको यहां मिलेंगे। बहुत तरह की चिकित्सीय बूटियां भी यहां मिलती हैं। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान जी लक्षमण जी के लिए संजीवनी बूटी यहीं से लाए थे। यहां आकर आप चारों और फैली बर्फ से ढकी पहाड़ियों के बीच सुन्दर फूल, पहाड़ों से गिरते झरने और चारों और फैली हरियाली को अपने अंदर सोखने से खुद को रोक नहीं पाएंगे।
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वैली ऑफ़ फ्लावर्स कैसे पहुंचे
उत्तराखंड में वैली ऑफ़ फ्लावर्स चमोली जिले में स्थित है। यहां पहुँचने के लिए पहले आपको ऋषिकेश पहुँचना होगा। ऋषिकेश से वैली ऑफ़ फ्लावर्स की दूरी 300 किलोमीटर है। यहाँ से आप बस या टैक्सी द्वारा वैली ऑफ़ फ्लावर्स के 4 किलोमीटर पास घंगरिया तक पहुंच सकते हैं। घंघरिया से आपको ट्रैकिंग करके इस सुन्दर घाटी तक पहुँचने होगा। आप टट्टू या हेलीकॉप्टर का भी प्रयोग कर सकते हैं।
वैली ऑफ़ फ्लावर्स में कहाँ रुकें
यहां रुकने की व्यवस्था नहीं है। रुकने केलिए आपको घंगरिया में होटल और गेस्टहॉउस मिल जाएंगे।
2. उदयपुर
उदयपुर के बारे में कौन नहीं जानता? अद्भुत झीलों और ऐतिहासिक इमारतों वाला यह शहर वैसे ही अपनी खूबसूरती के लिए बहुत प्रसिद्ध है। उदयपुर को इसी वजह से रूमानी या रोमांटिक शहर की संज्ञा भी दी जाती है। यहां की झीलों और महलों को देख कर ही प्रेम का एहसास होता है। बहुत से नवविवाहित जोड़े शादी के बाद कुछ समय बिताने यहां आना पसंद करते हैं क्योंकि यहां की हवा में ही प्रेम की गंध बसती है। हालांकि उदयपुर में बारिश बहुत कम होती है लेकिन जब होती है तो यहां का दृश्य एक दम मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है। अरावली की पहाड़ियों के बीच बसे इस शहर में मानसून में बारिशों के बीच सुन्दर झीलों में रोमांस का एक अलग ही माहौल बनता है।
इसके अलावा, इस मौसम में चारों और की हरियाली के बीच पुरानी झीलों में बोटिंग करने का अपना अलग ही आनंद है। मानसून में यहां के महल एक अलग ही रंगत ले लेते हैं। इनमें घूमते हुए आपको राजसी एहसास होगा। कई सदियों तक मेवाड़ की राजधानी रहे इस शहर को कई उपनाम भी दिए गए हैं जैसे “पूर्व का वेनिस” और “झीलों का शहर” आदि। पिछोला झील और इसके ठीक बीच में बने लेक पैलेस को देखे बिना उदयपुर की सैर अधूरी मानी जाती है। मानसून में उफनती हुई पिछोला झील का नज़ारा अद्भुत होता है और इसके बीच बने लेक पैलेस का दृश्य बिलकुल ही बदला हुआ और आकर्षक दिखता है। यहां के मंदिर और उनकी बनावट देखने योग्य है। इनकी भव्यता और मान्यता दोनों ही अतुलनीय हैं। महलों की शिल्पकला आपको चौंका देगी।
कुल मिलकर, जो आनंद उदयपुर को मानसून में देखने का है,वह आनंद आपको किसी और मौसम में नहीं मिलेगा।
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उदयपुर कैसे पहुंचें?
राजस्थान उदयपुर का अपना हवाई अड्डा है जहाँ से घरेलु उड़ानें आती और जाती हैं। यह हवाई अड्डा देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। यदि आप रेलगाड़ी से यात्रा करना पसंद करते हैं तो उदयपुर रेलवे स्टेशन तक आप आसानी से पहुँच सकते हैं। यह रेलवे स्टेशन भी देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। उदयपुर एक बड़ा पर्यटन स्थल है और आप किसी भी जगह से सड़क मार्ग से भी उदयपुर पहुँच सकते हैं। यह सड़क मार्ग से मुंबई, दिल्ली आदि बड़े शहरों से सीधा जुड़ा हुआ है।
उदयपुर में कहाँ रुकें
उदयपुर में आपको अपने बजट के हिसाब से रुकने के लिए जगह मिल जाएगी। यहां कई तरह के होटल, रिसोर्ट और गेस्टहॉउस उपलब्ध हैं जिनमें से आप अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं।
3. कोडैकनाल
दक्षिण भारत में तमिलनाडु में स्थित छोटा सा पर्वतीय स्थल कोडैकनाल पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र है। इसे पहाड़ों की राजकुमारी भी कहा जाता है। प्रकृति की अपार सुंदरता समेटे हुए इस शहर का सौंदर्य मानसून में कई गुना बढ़ जाता है। कोडैकनाल भारत में मानसून के मौसम में सबसे ज़्यादा घूमने वाले स्थलों में शुमार है। पश्चिमी घाट के पलानी पहाड़ों में स्थित कोडैकनाल में आपको घाटों और पहाड़ों का असाधारण दृश्य देखने को मिलेगा। मनोहर झरनों, झीलों और असीम हरियाली वाली इस जगह में आप प्रकृति का जादू देख सकते हैं। बारिशों के बाद यहां के झरनों का रूप देखने लायक होता है। कोडैकनाल का नाम आते ही आँखों के सामने आते हैं बादलों से घिरे पहाड़, धुंध से ढकी चोटियां, खूबसूरत झीलें और झरने और हरी भरी घाटियां।
जब आप यहां जाएंगे तो आप पाएंगे कि जिसे आपने सोचा था यह जगह उस से बढ़ कर ही है। करीब 7200 फ़ीट की ऊंचाई पर बसा यह शहर मानसून में अपने सुहावने मौसम से आपको बिलकुल तरो ताज़ा कर देगा। कोडैकनाल का अर्थ है “जंगलों का उपहार”। यहां आसपास काफी घने जंगल भी हैं जहां आप सैर कर सकते हैं।कोकर वाक और ब्रैंट पार्क की ट्रैकिंग में आपको अद्भुत नज़ारे देखने को मिलेंगे। इसके अलावा प्रकृति की गोद में झीलों में बोटिंग करने का आनंद उठाइए। प्रकृति के दर्शन करने और उससे संपर्क बनाने खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से फिर से ताज़ा करने के लिए कोडैकनाल एक आदर्श जगह है।
कोडैकनाल कैसे पहुंचे?
तमिलनाडु में कोडैकनाल का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा मदुरै में स्थित है जो 135 किलोमीटर की दूरी पर है। सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन भी मदुरै में ही स्थित है। यहां से आपको कोडैकनाल के लिए सरकारी और निजी बसें मिल जाएंगी। इसके अलावा आप चाहें तो टैक्सी भी कर सकते हैं। सड़क मार्ग से भी कोडैकनाल तमिलनाडु के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है और बसों और टैक्सी से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
कोडैकनाल में कहाँ रुकें?
कोडैकनाल में कई होटल और रिसोर्ट हैं। आप अपने बजट और पसंद के हिसाब से होटल चुन सकते हैं। हाँ हम आपको यह सुझाव ज़रूर देंगे कि कोशिश करके कोकर वाक के पास रुकें क्योंकि यहां से कई झीलें और झरने काफी नज़दीक हैं।
तो सोच क्या रहे हैं? इस मानसून के मौसम में इन तीन सुन्दर प्राकृतिक स्थानों में से एक चुनिए और पहुँच जाइए इस मानसून को एक यादगार मौसम बनाने के लिए।
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