वायनाड केरल – दोस्तो आप में से कुछ लोग ऐसे होंगे जो घूमने फिरने के बेहद शौकीन होंगे। आपको नई नई जगहें देखने और वहां जाकर नई चीज़ें खोजने का शौक होगा। आप में से कुछ ऐसे भी होंगे जो हर छुट्टियों में परिवार या दोस्तों के साथ कहीं घूमने का कार्यक्रम बनाते होंगे और किसी सुरम्य स्थान की खोज करते होंगे जहां आपको बेहद आनंद प्राप्त हो। आप में से ही कई अन्य ऐसे होंगे जो कभी कभार कहीं घूमने के लिए जाते होंगे। आप लोग भी ऐसी जगह तलाशते होंगे जहां जाकर आपको ना सिर्फ ख़ुशी का एहसास हो बल्कि एक सुन्दर जगह भी देखने को मिले।
यहां हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने वाले हैं जो आप में से हर एक की ज़रूरत और इच्छा दोनों पूरी करेगी। इस जगह का नाम है वायनाड। प्रकृति की अतुल्य सुंदरता से भरपूर वायनाड को भारत के पर्यटन नक़्शे पर आए हुए अभी ज़्यादा समय नहीं हुआ। इसी वजह से इसकी सुंदरता अभी लगभग अछूती और बिलकुल ताज़ा लगती है।
वायनाड की भौगोलिक स्थिति
वायनाड, “भगवान का अपना देश” कहे जाने वाले राज्य केरल के उत्तर पूर्व में स्थित जिला और सुंदर पर्वतीय स्थल है। यह कन्नूर और कोझिकोड ज़िलों के बीच स्थित है। पश्चिमी घाट में स्थित इस हिल स्टेशन की सुंदरता आज भी अपने प्राचीन रूप में पर्यटकों का मन मोह लेती है। कल कल करते सुंदर झरने, घने जंगल, ऊँचे पहाड़, हरी भरी गहरी वादियां, ऐतिहासिक गुफाएं और सबसे बढ़िया यहां का वन्य जीवन वायनाड के वे आकर्षण हैं जो आपकी भीड़ भाड़ और प्रदूषण देखने की अभ्यस्त आँखों को बेहद राहत प्रदान करेंगे।
एक तरफ तमिलनाडु और दूसरी तरफ कर्नाटक की सीमा से सटे वायनाड में आपको चारों और हरियाली लहलहाती हुई दिखेगी। समुद्र तट से लगभग 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस हिल स्टेशन का मौसम पूरे साल खुशगवार रहता है इसलिए आप साल के किसी भी महीने में यहां की सैर करने आ सकते हैं। दूर तक फैले मसाले और चाय के बागानों की हरियाली आपकी अजीब सी ठंडक प्रदान करेगी। यहां के स्थानीय निवासी अधिकतर आदिवासी हैं और उनकी संस्कृति और परंपराएं आपको आश्चर्यचकित कर देंगी। वायनाड ज़िले के तीन प्रमुख नगर हैं कलपेट्टा, सुल्तान बथेरी और मनंथावादी। वायनाड की विभिन्न स्थानों की सैर करने के लिए यही शहर आधार बनते हैं।
वायनाड में देखने और करने के लिए बहुत कुछ है। यहां हम आपको देखने लायक कुछ प्रमुख जगहों और कुछ प्रमुख गतिविधियों के बारे में बताएंगे।
चेम्ब्रा पीक – वायनाड
कलपेट्टा से आठ किलोमीटर की दूरी पर मीप्पाडी के पास स्थित चेम्ब्रा पीक वायनाड की सबसे ऊँची चोटी है। इसकी ऊंचाई करीब 2000 मीटर है। यहां से ना सिर्फ आपको पूरे वायनाड का विहंगम दृश्य दिखेगा बल्कि कोझिकोड के कुछ हिस्से को भी आप देख पाएंगे। यहां पर आपको ट्रैकिंग का भी मौका मिलेगा क्योंकि यहां पर एक दिन या दो दिन के ट्रैकिंग अभियान चलते हैं। ट्रैकिंग के दौरान आप आस पास की सुंदरता देख कर दंग रह जाएंगे। इसी जगह की एक और ख़ास बात है। चेम्ब्रा पीक के रास्ते में आपको एक दिल के आकार की झील मिलेगी। इस झील के बारे में कहा जाता है कि यह कभी सूखती नहीं।
ट्रैकिंग के लिए आपको वन विभाग से अनुमति लेनी होती है। जिला पर्यटन कॉउन्सिल इसके लिए उपकरण और गाइड उपलब्ध कराती ही। इसकी फीस दस लोगों के ग्रुप के लिए भारतीय नागरिकों के लिए 500 रुपये और विदेशी नागरिकों केलिए 1000 रुपये होती है। चेम्ब्रा पीक की अपनी और इसके आसपास की सुंदरता आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। यह वायनाड के अवश्य देखने वाले स्थानों में से एक है।
बाणासुर सागर बाँध – वायनाड
काबिनी नदी की सहायक नदी पर बना यह बाँध भारत का सबसे बड़ा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा बाँध है। कलपेट्टा से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह बाँध बाणासुर सागर परियोजना के अंतर्गत बनाया गया था जो वर्ष 1979 में शुरू हुई थी। बाणासुर पहाड़ियों के तल पर बने इस बाँध का दृश्य पहाड़ों के ऊपर से देखते ही बनता है। बाणासुर पहाड़ी पश्चिमी घाट की तीसरी सबसे ऊँची पहाड़ी है।
बाणासुर नाम के पीछे भी एक दंतकथा है। माना जाता है बाणासुर नाम केरल के राजा महाबली के पुत्र बाणासुर के नाम पर पड़ा। कहा जाता है कि बाणासुर ने इस पहाड़ी पर घोर तपस्या की थी इसीलिए इसका नाम बाणासुर पड़ गया।
बाणासुर बाँध को पत्थरों और चट्टानों से बहुत मज़बूती से बनाया गया है और इसकी वजह से यह बहुत सुंदर लगता है। बाँध के निर्माण के दौरान और उसके बाद बारिशों में आसपास की ज़मीन डूब गई थी जिससे यहां कई द्वीप बन गए जो बहुत ही सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते हैं। कर्मनाथोडु नदी पर बने इस बाँध में आपको स्पीड बोटिंग की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा आप यहाँ ट्रैकिंग का मज़ा भी ले सकते हैं। कई पर्यटक तो बाणासुर बाँध का प्रयोग ऊपर पहाड़ी पर चढ़ने के लिए करते हैं। यहां आपको बहुत सुंदर फूल भी देखने को मिलेंगे। बाणासुर बाँध और इसके आसपास की सुंदरता निश्चित रूप से आपका मन मोह लेगी।
कुरुवा द्वीप
काबिनी नदी के मध्य में स्थित कुरुवा द्वीप दरअसल द्वीपों का एक समूह है। ।यह काबिनी नदी का एक सुरक्षित डेल्टा है। घने जंगलों से घिरा यह द्वीप अपने आप में एक अद्वितीय जगह है। यह द्वीप करीब ९५० एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें कहीं और ना मिलने वाले फूलों और जड़ी बूटियों की अथाह संपत्ति है जिनकी सुंदरता आपको चकाचौंध कर देगी। यह इकलौता ऐसा द्वीप है जो ताज़े पानी से घिरा हुआ है। कुरुवा द्वीप में आपको बहुत से सदाबहार वृक्ष मिलेंगे और पक्षियों की कई दुर्लभ प्रजातियां भी आप यहां देख सकते हैं। यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं और प्रकृति के कार्य को नज़दीक से देखना चाहते हैं तो कुरुवा द्वीप आइए।
कुरुवा द्वीप में आपको कई अनोखी चीज़ें दिखेंगी जैसे बांस के पेड़ों से बने पुल। इसके अलावा कई दुर्लभ आर्किड, और औषधि संबंधी पौधे भी यहां मिलेंगे। यहां नदी की कई धाराएं मिलती हैं। आप इन धाराओं में प्राकृतिक सुंदरता का लुत्फ़ उठाते हुए बोटिंग या राफ्टिंग कर सकते हैं। आप यहां के शांत वातावरण में आसपास की सुंदरता को निहारते हुए सैर कर सकते हैं। वन विभाग के अधिकारी इस द्वीप को साफ़ और प्रदूषण मुक्त रखने को लेकर बहुत सजग हैं इसलिए यहां पर प्रकृति का साफ़ सुथरा रूप देखने को मिलता है।
कुरुवा द्वीप कलपेट्टा से 40 किलोमीटर दूर है और यहां बोट या राफ्ट के द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। केरला पर्यटन द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली ये राफ्ट बांस की बनी होती हैं और इनमें सफर करना एक अलग प्रकार की ही अनुभूति प्रदान करता है।
एडक्कल गुफाएं
प्रकृति के अनूठे कौशल और दर्शन का प्रतीक हैं एडक्कल गुफाएं। कलपेट्टा से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये दो गुफाएं हैं जो आपको प्रकृति के कार्य का अविश्वसनीय रूप दिखाकर आश्चर्यचकित कर देंगी। समुद्र से 1200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये गुफाएं 96 फ़ीट लम्बी और 22 फ़ीट चौड़ी हैं। ये गुफाएं इतिहास दर्ज होने से भी पहले के समय की हैं और अपने आप बनी हैं। इन गुफाओं का मुख्य आकर्षण हैं इनके अंदर की गई सुन्दर नक़्क़ाशी। कहा जाता है कि पत्थरों पर की गई यह नक़्क़ाशी ईसा से 6000 वर्ष पूर्व की है।
एडक्कल गुफाओं के प्रवेश द्वार तक पहुँचने के लिए आपको करीब डेढ़ घंटे की ट्रैकिंग करनी होगी। इसके बाद गुफा के मुख तक पहुँचने के लिए करीब 45 मिनट और चलने की ज़रूरत होगी। लेकिन एक बार आप गुफा में पहुँच जाएंगे तो उसे देखकर आप अपनी साड़ी थकावट भूल जाएंगे।
वायनाड बागानों, जंगलों और वन्य जीवन से भरपूर है। इसके अतिरिक्त भी वायनाड में देखने के लिए कई अन्य आकर्षक स्थान हैं जैसे थिरुन्नेली मंदिर, वायनाड वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी और सूचीपारा फाल्स आदि। यहां आप ट्रीहॉउस (पेड़ों पर बने घर) में रहने का अनुभव भी ले सकते हैं।
वायनाड कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग – वायनाड से सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा कोझिकोड में है जो यहां से करीब ९० किलोमीटर की दूरी पर है। कोझिकोड से वायनाड पहुँचने के लिए बसें और टैक्सियां आसानी से उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग – वायनाड का सबसे नज़दीकी बड़ा रेलवे स्टेशन कोझिकोड में ही स्थित है जो यहां से११० किलोमीटर दूर है। कोझिकोड स्टेशन से वायनाड के लिए आपको बसें और टैक्सियां मिल जाएंगी।
सड़क मार्ग – वायनाड केरल के अन्य शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ हुआ है। आप केरल के किसी भी शहर से अगर सड़क मार्ग से यहां पहुंचना चाहते हैं तो आसानी से पहुँच सकते हैं।
वायनाड में कहाँ ठहरें?
वायनाड में हर तरह के होटल और रिसोर्ट उपलब्ध हैं। आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार होटल चुन कर रह सकते हैं। ज़्यादातर दर्शनीय स्थल कलपेट्टा के आसपास स्थित हैं इसलिए कलपेट्टा में ठहरना ही ज़्यादा सुविधाजनक रहेगा।
तो आप कब जा रहे हैं वायनाड की यात्रा पर?